सो मत सांचो है मन मेरे: Difference between revisions
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(राग धनासरी)
सो मत सांचो है मन मेरे ।
जो अनादि सर्वज्ञप्ररूपित, रागादिक बिन जे रे ।।
पुरुष प्रमान प्रमान वचन तिस, कल्पित जान अने रे ।
राग दोष दूषित तिन बायक, सांचे हैं हित तेरे ।।१ ।।सो मत. ।।
देव अदोष धर्म हिंसा बिन, लोभ बिना गुरु वे रे ।
आदि अन्त अविरोधी आगम, चार रतन जहँ ये रे ।।२ ।।सो मत. ।।
जगत भर्यो पाखंड परख बिन, खाइ खता बहुतेरे ।
`भूधर' करि निज सुबुद्धि कसौटी, धर्म कनक कसि ले रे ।।३ ।।सो मत. ।।