कनकप्रभ: Difference between revisions
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कुंडल पर्वत का एक कूट–देखें [[ लोक#7.12 | लोक - 7.12]]। | <span class="HindiText"> कुंडल पर्वत का एक कूट–देखें [[ लोक#7.12 | लोक - 7.12]]। | ||
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<p id="2">(2) भविष्यत् कालीन दूसरा कुलकर । <span class="GRef"> महापुराण 76.463, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.555 < | <span class="HindiText"> <p id="2">(2) भविष्यत् कालीन दूसरा कुलकर । <span class="GRef"> महापुराण 76.463, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.555 | ||
<p id="3">(3) विदेह के मंगलावती देश संबंधी विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित नगर । <span class="GRef"> महापुराण 74.220-221, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 4.73-75 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="3">(3) विदेह के मंगलावती देश संबंधी विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित नगर । <span class="GRef"> महापुराण 74.220-221, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 4.73-75 </span></p> | ||
<p id="4">(4) सनत्कुमार स्वर्ग का विमान । <span class="GRef"> महापुराण 67.146 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="4">(4) सनत्कुमार स्वर्ग का विमान । <span class="GRef"> महापुराण 67.146 </span></p> | ||
<p id="5">(5) मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । कनकमाला इसकी रानी और पहना इसका पुत्र था । इसने मनोहर वन में श्रीधर मुनि से धर्म का स्वरूप सुनकर पुत्र को राज्य दे दिया था और संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 54.130-131, 143 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="5">(5) मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । कनकमाला इसकी रानी और पहना इसका पुत्र था । इसने मनोहर वन में श्रीधर मुनि से धर्म का स्वरूप सुनकर पुत्र को राज्य दे दिया था और संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 54.130-131, 143 </span></p> | ||
<p id="6">(6) पद्म देश के कांतपुर नगर के स्वामी कनकरथ और उसकी रानी कनकप्रभा का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 47.180-181 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="6">(6) पद्म देश के कांतपुर नगर के स्वामी कनकरथ और उसकी रानी कनकप्रभा का पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 47.180-181 </span></p> | ||
<p id="7">(7) एक विद्याधर । इसी विद्याधर की विभूति देखकर मुनि प्रभासनंद ने देव होने का निदान किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.165-166 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="7">(7) एक विद्याधर । इसी विद्याधर की विभूति देखकर मुनि प्रभासनंद ने देव होने का निदान किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.165-166 </span></p> | ||
<p id="8">(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.197 </span></p> | <span class="HindiText"> <p id="8">(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.197 </span></p> | ||
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Revision as of 15:53, 14 July 2022
सिद्धांतकोष से
कुंडल पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 7.12।
पुराणकोष से
(1) कुंडलगिरि पर्वत की पूर्व दिशा में स्थित कूट । यह महाभुज देव की निवासभूमि था । क्ष0 5.691
(2) भविष्यत् कालीन दूसरा कुलकर । महापुराण 76.463, हरिवंशपुराण 60.555
(3) विदेह के मंगलावती देश संबंधी विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित नगर । महापुराण 74.220-221, वीरवर्द्धमान चरित्र 4.73-75
(4) सनत्कुमार स्वर्ग का विमान । महापुराण 67.146
(5) मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । कनकमाला इसकी रानी और पहना इसका पुत्र था । इसने मनोहर वन में श्रीधर मुनि से धर्म का स्वरूप सुनकर पुत्र को राज्य दे दिया था और संयम धारण कर लिया था । महापुराण 54.130-131, 143
(6) पद्म देश के कांतपुर नगर के स्वामी कनकरथ और उसकी रानी कनकप्रभा का पुत्र । महापुराण 47.180-181
(7) एक विद्याधर । इसी विद्याधर की विभूति देखकर मुनि प्रभासनंद ने देव होने का निदान किया था । पद्मपुराण 106.165-166
(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.197