कनकप्रभ
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
कुंडलवर पर्वत पर पूर्व दिशा मई ४ कूट है, उनमे से एक कूट का नाम कनकप्रभ है।
बाकी कूटों व देवों के नाम देखें- लोक 5.12
पुराणकोष से
(1) कुंडलगिरि पर्वत की पूर्व दिशा में स्थित कूट । यह महाभुज देव की निवासभूमि था । क्ष0 5.691
(2) भविष्यत् कालीन दूसरा कुलकर । महापुराण 76.463, हरिवंशपुराण - 60.555
(3) विदेह के मंगलावती देश संबंधी विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित नगर । महापुराण 74.220-221, वीरवर्द्धमान चरित्र 4.73-75
(4) सनत्कुमार स्वर्ग का विमान । महापुराण 67.146
(5) मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । कनकमाला इसकी रानी और पहना इसका पुत्र था । इसने मनोहर वन में श्रीधर मुनि से धर्म का स्वरूप सुनकर पुत्र को राज्य दे दिया था और संयम धारण कर लिया था । महापुराण 54.130-131, 143
(6) पद्म देश के कांतपुर नगर के स्वामी कनकरथ और उसकी रानी कनकप्रभा का पुत्र । महापुराण 47.180-181
(7) एक विद्याधर । इसी विद्याधर की विभूति देखकर मुनि प्रभासनंद ने देव होने का निदान किया था । पद्मपुराण - 106.165-166
(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.197