रक्ता: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) चौदह महानदियों में तेरहवीं नदी । यह शिखरी पर्वत के पुंडरीक सरोवर से निकलकर ऐरावतक्षेत्र में पूर्व की ओर बहती हुई पूर्वसमुद्र में गिरती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.196, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.125, 135, 160 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) चौदह महानदियों में तेरहवीं नदी । यह शिखरी पर्वत के पुंडरीक सरोवर से निकलकर ऐरावतक्षेत्र में पूर्व की ओर बहती हुई पूर्वसमुद्र में गिरती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.196, </span><span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 5.125, 135, 160) </span></p> | ||
<p id="2">(2) सुमेरु पर्वत के गायक वन की नैऋत्य दिशा में स्थित स्वर्णमय एक शिला । इस पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का अभिषेक होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.347-348 </span></p> | <p id="2">(2) सुमेरु पर्वत के गायक वन की नैऋत्य दिशा में स्थित स्वर्णमय एक शिला । इस पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का अभिषेक होता है । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 5.347-348) </span></p> | ||
<p id="3">(3) शिखरी कुलाचल का पाँचवाँ कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.106 </span></p> | <p id="3">(3) शिखरी कुलाचल का पाँचवाँ कूट । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 5.106) </span></p> | ||
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Revision as of 20:11, 11 December 2022
(1) चौदह महानदियों में तेरहवीं नदी । यह शिखरी पर्वत के पुंडरीक सरोवर से निकलकर ऐरावतक्षेत्र में पूर्व की ओर बहती हुई पूर्वसमुद्र में गिरती है । महापुराण 63.196, (हरिवंशपुराण 5.125, 135, 160)
(2) सुमेरु पर्वत के गायक वन की नैऋत्य दिशा में स्थित स्वर्णमय एक शिला । इस पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का अभिषेक होता है । (हरिवंशपुराण 5.347-348)
(3) शिखरी कुलाचल का पाँचवाँ कूट । (हरिवंशपुराण 5.106)