आत्मरक्षा: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 10:16, 12 August 2022
आत्मा को कर्म बंधन से मुक्त कराने वाले संयम का आचरण । ‘राजा को स्वरूप के विषय में भी चिंतन, मनन और आचरण करना चाहिये’ इस प्रसंग को लेकर हुई एक परिचर्चा । महापुराण 42.49, 136