आत्मरक्षा
From जैनकोष
आत्मा को कर्म बंधन से मुक्त कराने वाले संयम का आचरण । ‘राजा को स्वरूप के विषय में भी चिंतन, मनन और आचरण करना चाहिये’ इस प्रसंग को लेकर हुई एक परिचर्चा । महापुराण 42.49, 136
आत्मा को कर्म बंधन से मुक्त कराने वाले संयम का आचरण । ‘राजा को स्वरूप के विषय में भी चिंतन, मनन और आचरण करना चाहिये’ इस प्रसंग को लेकर हुई एक परिचर्चा । महापुराण 42.49, 136