उत्तम नरभव पायकै: Difference between revisions
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(राग-कनड़ी)
उत्तम नरभव पायकै, मति भूलै रे रामा ।।मति भू. ।।टेक ।।
कीट पशूका तन जब पाया, तब तू रह्या निकामा ।
अब नरदेही पाय सयाने, क्यौं न भजै प्रभुनामा ।।१ ।।मति भू. ।।
सुरपति याकी चाह करत उर, कब पाऊँ नरजामा ।
ऐसा रतन पायकैं भाई, क्यौं खोवत विनकामा ।।२ ।।मति भू. ।।
धन जोबन तन सुन्दर पाया, मगन भया लखि भामा ।
काल अचानक झटक खायगा, परे रहैंगे ठामा ।।३ ।।मति भू. ।।
अपने स्वामीके पदपंकज, करो हिये बिसरामा ।
मैंटि कपट भ्रम अपना बुधजन, ज्यौं पावौ शिवधामा ।।४ ।।मति भू. ।।