श्रीधरा: Difference between revisions
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Revision as of 22:39, 17 October 2022
सिद्धांतकोष से
महापुराण/59/ श्लोक - धरणीतिलक नगर के स्वामी अतिवेग विद्याधर की पुत्री थी। अलका नगर के राजा दर्शक से विवाही गयी (228-230)। अंत में दीक्षा ग्रहण कर तप किया (232) पूर्व भव के वैरी अजगर ने इसे निगल लिया। (237) मरकर यह रुचक विमान में उत्पन्न हुई (238)। यह मेरु गणधर का पूर्व का छठाँ भव है - देखें मेरु ।
पुराणकोष से
विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में धरणीतिलक नगर के राजा अतिबल और रानी सुलक्षणा की पुत्री । यह अलका नगरी के राजा सुदर्शन के साथ विवाही गयी थी । इतने गुणवती आर्यिका से दीक्षा लेकर तप किया । तपश्चरण अवस्था में पूर्वभव के बैरी सत्यघोष के जीव अजगर ने इसे निगल लिया । अत: मरकर यह कापिष्ठ स्वर्ग के रुचक विमान में उत्पन्न हुई । महापुराण 59.228-228, हरिवंशपुराण 27. 77-79