लोकपंक्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) No edit summary |
Jyoti Sethi (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <p>योगसार अमितगति/अ./8/20 <span class="SanskritGatha">आराधनाय लोकानां मलिनेनांतरात्मना । क्रियते या क्रिया बालैर्लोकपंक्तिरसौ मता ।20। </span>= <span class="HindiText">अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक को रंजायमान करने के लिए क्रिया करते हैं उसे लोकपंक्ति कहते हैं । </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 09:44, 2 November 2022
योगसार अमितगति/अ./8/20 आराधनाय लोकानां मलिनेनांतरात्मना । क्रियते या क्रिया बालैर्लोकपंक्तिरसौ मता ।20। = अंतरात्मा के मलिन होने से मूर्ख लोग जो लोक को रंजायमान करने के लिए क्रिया करते हैं उसे लोकपंक्ति कहते हैं ।