अचक्षुदर्शन: Difference between revisions
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Revision as of 09:18, 6 November 2022
पं.सं./1/139-141 चक्खूणाजं पयासइ दीसइ तं चक्खुदंसणं विंति। सेसिंदियप्पयासो णायव्वो सो अचक्खु त्ति।139। =चक्षु इंद्रिय के द्वारा जो पदार्थ का सामान्य अंश प्रकाशित होता है, अथवा दिखाई देता है, उसे चक्षुदर्शन कहते हैं। शेष चार इंद्रियों से और मन से जो सामान्य प्रतिभास होता है उसे अचक्षुदर्शन जानना चाहिए।139।
पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/42 तदावरणक्षयोपशमाच्चक्षुरिंद्रियवलंबाच्चमूर्त्तद्रव्यं विकलं सामान्येनावबुध्यते तच्चक्षुर्दर्शनम् । यत्तदावरणक्षयोपशमाच्चक्षुवर्जितेतरचतुरिंद्रियानिंद्रियावलंबाच्च मूर्तामूर्तद्रव्यं विकलं सामान्येनावबुध्यते तदचक्षुर्दर्शनम् । =अपने आवरण के क्षयोपशम से और चक्षुइंद्रिय के आलंबन से मूर्त द्रव्य को विकलरूप से (एकदेश) जो सामान्यत: अवबोध करता है वह चक्षुदर्शन है। उस प्रकार के आवरण के क्षयोपशम से तथा चक्षु से अतिरिक्त शेष चार इंद्रियों और मन के अवलंबन से मूर्त-अमूर्त द्रव्यों को विकलरूप से (एकदेश) जो सामान्यत: अवबोध करता है, वह अचक्षुदर्शन है।
( नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/13,14 ); ( द्रव्यसंग्रह टीका/4/13/6 )
- अधिक जानकारी के लिए देखें दर्शन उपयोग - 5।