अचक्षुदर्शनावरण
From जैनकोष
राजवार्तिक/8/8/12-16/573 चक्षुरक्षुर्दर्शनावरणोदयात् चक्षुरादींद्रियालोचनविकल:।12। ...पंचेंद्रियत्वेऽप्युपहतेंद्रियालोचनसामर्थ्यश्च भवति। =चक्षुदर्शनावरण और अचक्षुदर्शनावरण के उदय से आत्मा के चक्षुरादि इंद्रियजन्य आलोचन नहीं हो पाता। इन इंद्रियों से होने वाले ज्ञान के पहिले जो सामान्यालोचन होता है उस पर इन दर्शनावरणों का असर होता है।
विशेष जानकारी के लिए देखें दर्शनावरण ।