मनोरोध: Difference between revisions
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Revision as of 16:11, 8 November 2022
मन का निरोध । इंद्रियों का निग्रह होने से मन का भी निरोध हो जाता है । इसका निरोध ही वह ध्यान है जिससे कर्मक्षय होकर अनंत सुख मिला है । महापुराण 20. 179-180