शब्द समय: Difference between revisions
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<p><span class="GRef">पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/3 </span> <span class="SanskritText"> तत्र च पंचानामस्तिकायानां समो मध्यस्थो रागद्वेषाभ्यनुपहतो वर्णपदवाक्यसंनिवेशविशिष्ट: पाठो वाद: शब्दसमय: शब्दागम इति यावत् । तेषामेव मिथ्यादर्शनोदयोच्छेदे सति सम्यग्वाय: परिच्छेदो ज्ञानसमयो ज्ञानागम इति यावत् । तेषामेवाभिधानप्रत्ययपरिच्छिन्नानां वस्तुरूपेण समवाय: संघातोऽर्थसमय: सर्वपदार्थसार्थ इति यावत् । </span>=<span class="HindiText">सम् अर्थात् मध्यस्थ यानी जो रागद्वेष से विकृत नहीं हुआ, वाद अर्थात् वर्ण पद और वाक्य के समूह वाला पाठ। पाँच अस्तिकाय का 'समवाय' अर्थात् मध्यस्थ पाठ वह शब्दसमय है अर्थात् शब्दागम वह शब्द समय है। मिथ्यादर्शन के उदय का नाश होने पर, उस पंचास्तिकाय का ही सम्यग् अवाय अर्थात् सम्यग्ज्ञान वह ज्ञान समय है अर्थात् ज्ञानागम वह ज्ञान समय है। कथन के निमित्त से ज्ञात हुए उस पंचास्तिकाय का ही वस्तु रूप से समवाय अर्थात् समूह वह अर्थसमय है।</span></p></li> | |||
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Revision as of 17:47, 30 November 2022
पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/3 तत्र च पंचानामस्तिकायानां समो मध्यस्थो रागद्वेषाभ्यनुपहतो वर्णपदवाक्यसंनिवेशविशिष्ट: पाठो वाद: शब्दसमय: शब्दागम इति यावत् । तेषामेव मिथ्यादर्शनोदयोच्छेदे सति सम्यग्वाय: परिच्छेदो ज्ञानसमयो ज्ञानागम इति यावत् । तेषामेवाभिधानप्रत्ययपरिच्छिन्नानां वस्तुरूपेण समवाय: संघातोऽर्थसमय: सर्वपदार्थसार्थ इति यावत् । =सम् अर्थात् मध्यस्थ यानी जो रागद्वेष से विकृत नहीं हुआ, वाद अर्थात् वर्ण पद और वाक्य के समूह वाला पाठ। पाँच अस्तिकाय का 'समवाय' अर्थात् मध्यस्थ पाठ वह शब्दसमय है अर्थात् शब्दागम वह शब्द समय है। मिथ्यादर्शन के उदय का नाश होने पर, उस पंचास्तिकाय का ही सम्यग् अवाय अर्थात् सम्यग्ज्ञान वह ज्ञान समय है अर्थात् ज्ञानागम वह ज्ञान समय है। कथन के निमित्त से ज्ञात हुए उस पंचास्तिकाय का ही वस्तु रूप से समवाय अर्थात् समूह वह अर्थसमय है।
अधिक जानकारी के लिए देखें समय ।