षोडशकारण भावना: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
सर्वार्थसिद्धि/6/25/339/6 | <span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि/6/25/339/6 | ||
तान्येतानि षोडशकारणानि सम्यग्भाव्यमानानि व्यस्तानि समस्तानि च तीर्थंकरनामकर्मास्रवकारणानि प्रत्येतव्यानि। | तान्येतानि षोडशकारणानि सम्यग्भाव्यमानानि व्यस्तानि समस्तानि च तीर्थंकरनामकर्मास्रवकारणानि प्रत्येतव्यानि। |
Revision as of 22:40, 2 December 2022
सर्वार्थसिद्धि/6/25/339/6
तान्येतानि षोडशकारणानि सम्यग्भाव्यमानानि व्यस्तानि समस्तानि च तीर्थंकरनामकर्मास्रवकारणानि प्रत्येतव्यानि। = ये सोलह कारण हैं। यदि अलग-अलग इनका भले प्रकार चिंतवन किया जाता है तो भी ये तीर्थंकर नामकर्म के आस्रव के कारण होते हैं और समुदाय रूप से सबका भले प्रकार चिंतन किया जाता है तो भी ये तीर्थंकर नामकर्म के आस्रव के कारण होते हैं। देखें भावना ।