अचित्त योनि: Difference between revisions
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<span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 2/32/188</span> <p class="SanskritText">तेषां हि योनिरुपपाददेश पुद्गलप्रचयोअचित्तः। </p> | |||
<p class="HindiText">= उनके उपपाद देश के पुद्गल प्रचयरूप योनि अचित्त है। </p> | <p class="HindiText">= उनके उपपाद देश के पुद्गल प्रचयरूप योनि अचित्त है। </p> | ||
<p>(राजवार्तिक अध्याय 2/32/18/43/1)।</p> | <p>(<span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 2/32/18/43/1</span>)।</p> | ||
Revision as of 18:47, 8 December 2022
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 2/32/188
तेषां हि योनिरुपपाददेश पुद्गलप्रचयोअचित्तः।
= उनके उपपाद देश के पुद्गल प्रचयरूप योनि अचित्त है।
(राजवार्तिक अध्याय 2/32/18/43/1)।