लोहजंघ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक यादव-कुमार । कृष्ण और जरासंध के युद्ध में जरासंध को शांत करने की दृष्टि से समुद्रविजय ने साम उपाय का आवलंबन लेकर दूत भेजने का मंत्रियों से परामर्श किया था और इस कुमार को दूत बनाकर जरासंध के पास भेजा था यह चतुर, क्रूर और नीतिज्ञ था । जरासंध के साथ संधि करने यह ससैन्य गया था । पूर्व मालव देश के एक वन में इसने तिलकानंद और नंदन मासोपवासी दो मुनिराजों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । इसके समझाने से जरासंध ने छ: माह तक के लिए संधि कर ली थी । इसके इस प्रयत्न से यादव एक वर्ष तक शांति से रहे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50.55-64 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक यादव-कुमार । कृष्ण और जरासंध के युद्ध में जरासंध को शांत करने की दृष्टि से समुद्रविजय ने साम उपाय का आवलंबन लेकर दूत भेजने का मंत्रियों से परामर्श किया था और इस कुमार को दूत बनाकर जरासंध के पास भेजा था । यह चतुर, क्रूर और नीतिज्ञ था । जरासंध के साथ संधि करने यह ससैन्य गया था । पूर्व मालव देश के एक वन में इसने तिलकानंद और नंदन मासोपवासी दो मुनिराजों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । इसके समझाने से जरासंध ने छ: माह तक के लिए संधि कर ली थी । इसके इस प्रयत्न से यादव एक वर्ष तक शांति से रहे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50.55-64 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वनराज भील का मित्र । यह और इसका साथी श्रीषेण दोनों ससैन्य हेमाभनगर पहुँचे । यहाँ सुरंगमार्ग से राजकुमारी श्रीचंद्रा के महल में गये और उसे लेकर वनराज की ओर | <p id="2">(2) वनराज भील का मित्र । यह और इसका साथी श्रीषेण दोनों ससैन्य हेमाभनगर पहुँचे । यहाँ सुरंगमार्ग से राजकुमारी श्रीचंद्रा के महल में गये और उसे लेकर वनराज की ओर बढ़े । इन्होंने श्रीचंद्रा के भाइयों से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर श्रीचंद्रा वनराज को सौंप दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75.481-493 </span></p> | ||
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Revision as of 22:18, 23 December 2022
(1) एक यादव-कुमार । कृष्ण और जरासंध के युद्ध में जरासंध को शांत करने की दृष्टि से समुद्रविजय ने साम उपाय का आवलंबन लेकर दूत भेजने का मंत्रियों से परामर्श किया था और इस कुमार को दूत बनाकर जरासंध के पास भेजा था । यह चतुर, क्रूर और नीतिज्ञ था । जरासंध के साथ संधि करने यह ससैन्य गया था । पूर्व मालव देश के एक वन में इसने तिलकानंद और नंदन मासोपवासी दो मुनिराजों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । इसके समझाने से जरासंध ने छ: माह तक के लिए संधि कर ली थी । इसके इस प्रयत्न से यादव एक वर्ष तक शांति से रहे । हरिवंशपुराण 50.55-64
(2) वनराज भील का मित्र । यह और इसका साथी श्रीषेण दोनों ससैन्य हेमाभनगर पहुँचे । यहाँ सुरंगमार्ग से राजकुमारी श्रीचंद्रा के महल में गये और उसे लेकर वनराज की ओर बढ़े । इन्होंने श्रीचंद्रा के भाइयों से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर श्रीचंद्रा वनराज को सौंप दी थी । महापुराण 75.481-493