असद्भाव स्थापना: Difference between revisions
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<p> स्थापना निक्षेप के दो भेदों में से एक असद्भाव स्थापना है। </br><span class="GRef"> श्लोकवार्तिक 2/1/5/54/263/17 </span><span class="SanskritText"> मुख्याकारशून्या वस्तुमात्रा पुनरसद्भावस्थापना परोपदेशादेव तत्र सोऽयमिति सप्रत्ययात् ।</span> = <span class="HindiText"> मुख्य आकारों से शून्य केवल वस्तु में ‘यह वही है’ ऐसी स्थापना कर लेना '''असद्भाव स्थापना''' है; क्योंकि मुख्य पदार्थ को देखने वाले भी जीव को दूसरों के उपदेश से ही ‘यह वही है’ ऐसा समीचीन ज्ञान होता है, परोपदेश के बिना नहीं। (<span class="GRef"> धवला 1/1,1,1/20/1 </span>), (<span class="GRef"> नयचक्र बृहद्/273 </span>)</span></br> | <p class="HindiText"> स्थापना निक्षेप के दो भेदों में से एक असद्भाव स्थापना है। </br><span class="GRef"> श्लोकवार्तिक 2/1/5/54/263/17 </span><span class="SanskritText"> मुख्याकारशून्या वस्तुमात्रा पुनरसद्भावस्थापना परोपदेशादेव तत्र सोऽयमिति सप्रत्ययात् ।</span> = <span class="HindiText"> मुख्य आकारों से शून्य केवल वस्तु में ‘यह वही है’ ऐसी स्थापना कर लेना '''असद्भाव स्थापना''' है; क्योंकि मुख्य पदार्थ को देखने वाले भी जीव को दूसरों के उपदेश से ही ‘यह वही है’ ऐसा समीचीन ज्ञान होता है, परोपदेश के बिना नहीं। (<span class="GRef"> धवला 1/1,1,1/20/1 </span>), (<span class="GRef"> नयचक्र बृहद्/273 </span>)</span></br> | ||
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Revision as of 11:51, 30 December 2022
स्थापना निक्षेप के दो भेदों में से एक असद्भाव स्थापना है।
श्लोकवार्तिक 2/1/5/54/263/17 मुख्याकारशून्या वस्तुमात्रा पुनरसद्भावस्थापना परोपदेशादेव तत्र सोऽयमिति सप्रत्ययात् । = मुख्य आकारों से शून्य केवल वस्तु में ‘यह वही है’ ऐसी स्थापना कर लेना असद्भाव स्थापना है; क्योंकि मुख्य पदार्थ को देखने वाले भी जीव को दूसरों के उपदेश से ही ‘यह वही है’ ऐसा समीचीन ज्ञान होता है, परोपदेश के बिना नहीं। ( धवला 1/1,1,1/20/1 ), ( नयचक्र बृहद्/273 )
निक्षेप के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु देखें निक्षेप_4