अप्रत्याख्यान: Difference between revisions
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<span class="GRef">धवला पुस्तक 6/1,9-1,23/43/3</span> <p class="SanskritText">प्रत्याख्यानं संयमः, न प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यानमिति देशसंयमः</p> | <span class="GRef">धवला पुस्तक 6/1,9-1,23/43/3</span> <p class="SanskritText">प्रत्याख्यानं संयमः, न प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यानमिति देशसंयमः</p> | ||
<p class="HindiText">= प्रत्याख्यान संयम को कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है वह अप्रत्याख्यान है। इस प्रकार `अप्रत्याख्यान' यह शब्द | <p class="HindiText">= प्रत्याख्यान संयम को कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है वह अप्रत्याख्यान है। इस प्रकार `अप्रत्याख्यान' यह शब्द देशसंयम का वाचक है।</p> | ||
<p>(<span class="GRef"> धवला पुस्तक 6/1,9-23/44/3</span>)</p> | <p>(<span class="GRef"> धवला पुस्तक 6/1,9-23/44/3</span>)</p> | ||
<span class="GRef">धवला पुस्तक 13/5,5,95/360/10 </span><p class="SanskritText">ईषत्प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यामिति व्युत्पत्तेः अणुव्रतानामप्रत्याख्यानसंज्ञा।</p> | <span class="GRef">धवला पुस्तक 13/5,5,95/360/10 </span><p class="SanskritText">ईषत्प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यामिति व्युत्पत्तेः अणुव्रतानामप्रत्याख्यानसंज्ञा।</p> | ||
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<p class="HindiText">2. विषयाकांक्षा के अर्थ में</p> | <p class="HindiText">2. विषयाकांक्षा के अर्थ में</p> | ||
<span class="GRef">समयसार / तात्पर्यवृत्ति गाथा 283</span> <p class="SanskritText">रागादि विषयाकांक्षारूपमप्रत्याख्यानमपि तथैव द्विविधं विज्ञेयं......द्रव्यभावरूपेण।</p> | <span class="GRef">समयसार / तात्पर्यवृत्ति गाथा 283</span> <p class="SanskritText">रागादि विषयाकांक्षारूपमप्रत्याख्यानमपि तथैव द्विविधं विज्ञेयं......द्रव्यभावरूपेण।</p> | ||
<p class="HindiText">= रागादि विषयों की | <p class="HindiText">= रागादि विषयों की आकांक्षा रूप अप्रत्याख्यान भी दो प्रकार का जानना चाहिए-द्रव्य अप्रत्याख्यान व भाव अप्रत्याख्यान।</p> | ||
Revision as of 22:26, 28 January 2023
1. संयमासंयम के अर्थ में-
धवला पुस्तक 6/1,9-1,23/43/3
प्रत्याख्यानं संयमः, न प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यानमिति देशसंयमः
= प्रत्याख्यान संयम को कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है वह अप्रत्याख्यान है। इस प्रकार `अप्रत्याख्यान' यह शब्द देशसंयम का वाचक है।
( धवला पुस्तक 6/1,9-23/44/3)
धवला पुस्तक 13/5,5,95/360/10
ईषत्प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यामिति व्युत्पत्तेः अणुव्रतानामप्रत्याख्यानसंज्ञा।
= `ईषत् प्रत्याख्यान अप्रत्याख्यान है' इस व्युत्पत्ति के अनुसार अणुव्रतों की अप्रत्याख्यान संज्ञा है।
( गोम्मट्टसार जीवकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 283/608/14)
2. विषयाकांक्षा के अर्थ में
समयसार / तात्पर्यवृत्ति गाथा 283
रागादि विषयाकांक्षारूपमप्रत्याख्यानमपि तथैव द्विविधं विज्ञेयं......द्रव्यभावरूपेण।
= रागादि विषयों की आकांक्षा रूप अप्रत्याख्यान भी दो प्रकार का जानना चाहिए-द्रव्य अप्रत्याख्यान व भाव अप्रत्याख्यान।