श्रीधर्मा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Prachi jain (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 21:51, 4 February 2023
(1) उज्जयिनी नगरी का राजा । श्रीमती इसकी रानी थी । बलि, बृहस्पति, नमुचि और प्रह्लाद ये चार इस राजा के मंत्री थे । इन मंत्रियों ने श्रुतसागर मुनि से वाद-विवाद में पराजित होकर उन्हें मारने का उद्यम किया था जिससे कुपित होकर इसने उन्हें देश ह निकाल दिया था । हरिवंशपुराण 20.3-11
(2) ऐरावत क्षेत्र की अयोध्या नगरी के राजा श्रीवर्मा और रानी सुसीमा का पुत्र यह मुनि के पास संयमी हो गया था । अंत में संयमपूर्वक मरकर यह ब्रह्मस्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 59.282-284