गंडविमुक्तदेव: Difference between revisions
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<li> नन्दिसंघ के देशीयगण के अनुसार माघनन्दि मुनि कोल्लापुरीय के शिष्य तथा भानुकीर्ति व देवकीर्ति के गुरु थे। समय–वि० ११९०-१२२० (र्इ०११३३-११६३); (ष.ख.२/प्र.४ H. L. Jain)- देखें - [[ इतिहास#7.5 | इतिहास / ७ / ५ ]]। </li> | |||
<li> नन्दिसंघ के देशीयगण के अनुसार (देखें - [[ इतिहास | इतिहास ]]) माघनन्दि कोल्लापुरीय के शिष्य देवकीर्ति के शिष्य थे अपरनाम वादि चतुर्मुख था। इनके अनेक श्रावक शिष्य थे। यथा= | |||
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<li> महाप्रधान सर्वाधिकारी ज्येष्ठ दण्डनायक भरतिमय्य;</li> | |||
<li> हेडगे बूचिमय्यंगल, </li> | |||
<li> जगदेंकदानी हेडगे कोरय्य। तदनुसार इनका समय—ई० ११५८-११८२ होता है। देखें - [[ इतिहास#7.5 | इतिहास / ७ / ५ ]]। </li> | |||
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Revision as of 22:15, 24 December 2013
- नन्दिसंघ के देशीयगण के अनुसार माघनन्दि मुनि कोल्लापुरीय के शिष्य तथा भानुकीर्ति व देवकीर्ति के गुरु थे। समय–वि० ११९०-१२२० (र्इ०११३३-११६३); (ष.ख.२/प्र.४ H. L. Jain)- देखें - इतिहास / ७ / ५ ।
- नन्दिसंघ के देशीयगण के अनुसार (देखें - इतिहास ) माघनन्दि कोल्लापुरीय के शिष्य देवकीर्ति के शिष्य थे अपरनाम वादि चतुर्मुख था। इनके अनेक श्रावक शिष्य थे। यथा=
- माणिक्य भण्डारी मरियानी दण्डनायक,
- महाप्रधान सर्वाधिकारी ज्येष्ठ दण्डनायक भरतिमय्य;
- हेडगे बूचिमय्यंगल,
- जगदेंकदानी हेडगे कोरय्य। तदनुसार इनका समय—ई० ११५८-११८२ होता है। देखें - इतिहास / ७ / ५ ।