• जैनकोष
    जैनकोष
  • Menu
  • Main page
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Share
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Login

जैन शब्दों का अर्थ जानने के लिए किसी भी शब्द को नीचे दिए गए स्थान पर हिंदी में लिखें एवं सर्च करें

गंडविमुक्तदेव

From जैनकोष

 Share 



  • नंदिसंघ के देशीयगण के अनुसार माघनंदि मुनि कोल्लापुरीय के शिष्य तथा भानुकीर्ति व देवकीर्ति के गुरु थे। समय–वि. 1190-1220 (र्इ.1133-1163); (ष.ख.2/प्र.4 H. L. Jain)-देखें इतिहास - 7.5।
  • नंदिसंघ के देशीयगण के अनुसार (देखें इतिहास ) माघनंदि कोल्लापुरीय के शिष्य देवकीर्ति के शिष्य थे अपरनाम वादि चतुर्मुख था। इनके अनेक श्रावक शिष्य थे। यथा=
  • माणिक्य भंडारी मरियानी दंडनायक,
  • महाप्रधान सर्वाधिकारी ज्येष्ठ दंडनायक भरतिमय्य;
  • हेडगे बूचिमय्यंगल,
  • जगदेंकदानी हेडगे कोरय्य। तदनुसार इनका समय—ई. 1158-1182 होता है। देखें इतिहास - 7.5।
  • पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ

    Retrieved from "http://www.jainkosh.org/w/index.php?title=गंडविमुक्तदेव&oldid=91423"
    Category:
    • ग
    JainKosh

    जैनकोष याने जैन आगम का डिजिटल ख़जाना ।

    यहाँ जैन धर्म के आगम, नोट्स, शब्दकोष, ऑडियो, विडियो, पाठ, स्तोत्र, भक्तियाँ आदि सब कुछ डिजिटली उपलब्ध हैं |

    Quick Links

    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games

    Other Links

    • This page was last edited on 5 August 2022, at 14:18.
    • Privacy policy
    • About जैनकोष
    • Disclaimers
    © Copyright Jainkosh. All Rights Reserved
    Powered by MediaWiki