उत्कीरण काल: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:45, 14 July 2023
(धवला 14/4,2,7,42/32/1) पारद्धपढमसमयादो अंतोमुहुत्तेण कालो जो घादो णिप्पज्जदि सो अणुभागखंडघादो णाम, जो पुण उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा।=प्रारंभ किये गये प्रथम समय से लेकर अंतर्मुहूर्त काल के द्वारा जो घात निष्पन्न होता है वह अनुभाग कांडक घात है। परंतु उत्कीरण काल के बिना एक समय द्वारा ही जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। विशेषार्थ—कांडक पोर को कहते हैं। कुल अनुभाग के हिस्से करके एक एक हिस्से का फालिक्रम से अंतर्मुहूर्त काल के द्वारा अभाव करना अनुभाग कांडकघात कहलाता है। (उपरोक्त कथन पर से उत्कीरणकाल का यह लक्षण फलितार्थ होता है कि कुल अनुभाग के पोर कांडक करके उन्हें घातार्थ जिस अंतर्मुहूर्तकाल में स्थापित किया जाता है, उसे उत्कीरण काल कहते हैं।
-अधिक जानकारी के लिए देखें काल - 1.6.3।