जड़: Difference between revisions
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<span class="HindiText">जीव को कथंचित् जड़ कहना–</span> | <span class="HindiText">जीव को कथंचित् जड़ कहना–</span> | ||
<span class="GRef"> परमात्मप्रकाश/ मूल/1/53 </span><span class="PrakritGatha">जे णियबोहपरिट्ठियहँ जीवहँ तुट्टइ णाणु। इंदिय जणियउ जोइया तिं जिउ जडु वि वियाणु।53। </span>=<span class="HindiText">जिस अपेक्षा आत्मा ज्ञान में ठहरे हुए (अर्थात् समाधिस्थ) जीवों के इंद्रियजनित ज्ञान नाश को प्राप्त होता है, हे योगी ! उसी कारण जीव को '''जड़''' भी जानो।</span><br /> | <span class="GRef"> परमात्मप्रकाश/ मूल/1/53 </span><span class="PrakritGatha">जे णियबोहपरिट्ठियहँ जीवहँ तुट्टइ णाणु। इंदिय जणियउ जोइया तिं जिउ जडु वि वियाणु।53। </span>=<span class="HindiText">जिस अपेक्षा आत्मा ज्ञान में ठहरे हुए (अर्थात् समाधिस्थ) जीवों के इंद्रियजनित ज्ञान नाश को प्राप्त होता है, हे योगी ! उसी कारण जीव को '''जड़''' भी जानो।</span> <br /> | ||
<span class="HindiText">विशेष जानकारी के लिये देखें [[ जीव#1.3 | जीव - 1.3]]।</span> | <span class="HindiText">विशेष जानकारी के लिये देखें [[ जीव#1.3 | जीव - 1.3]]।</span> |
Latest revision as of 12:03, 18 July 2023
जीव को कथंचित् जड़ कहना–
परमात्मप्रकाश/ मूल/1/53 जे णियबोहपरिट्ठियहँ जीवहँ तुट्टइ णाणु। इंदिय जणियउ जोइया तिं जिउ जडु वि वियाणु।53। =जिस अपेक्षा आत्मा ज्ञान में ठहरे हुए (अर्थात् समाधिस्थ) जीवों के इंद्रियजनित ज्ञान नाश को प्राप्त होता है, हे योगी ! उसी कारण जीव को जड़ भी जानो।
विशेष जानकारी के लिये देखें जीव - 1.3।