अनुराधा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) विद्याधर चंद्रोदर की पत्नी । पति के युद्ध में मारे जाने से बहुत दुःखी हो गर्भावस्था में इसे विद्या-बल से शून्य होकर वन में भटकना पड़ा था । मणिकांत पर्वत पर एक शिला के ऊपर इसने एक पुत्र को जन्म दिया था । शत्रुओं ने पुत्र को गर्भ में ही विराधित किया था, अत: इसने उसे ‘‘विराधित’’ नाम दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 1.67,9.40-44 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) विद्याधर चंद्रोदर की पत्नी । पति के युद्ध में मारे जाने से बहुत दुःखी हो गर्भावस्था में इसे विद्या-बल से शून्य होकर वन में भटकना पड़ा था । मणिकांत पर्वत पर एक शिला के ऊपर इसने एक पुत्र को जन्म दिया था । शत्रुओं ने पुत्र को गर्भ में ही विराधित किया था, अत: इसने उसे ‘‘विराधित’’ नाम दिया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_1#67|पद्मपुराण - 1.67]],9.40-44 </span></p> | ||
<p id="2">(2) नक्षत्र । प्रंद्रप्रभ तीर्थंकर का इसी नक्षत्र में जन्म हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 44 </span></p> | <p id="2">(2) नक्षत्र । प्रंद्रप्रभ तीर्थंकर का इसी नक्षत्र में जन्म हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#44|पद्मपुराण - 20.44]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:15, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
एक नक्षत्र-देखें नक्षत्र ।
पुराणकोष से
(1) विद्याधर चंद्रोदर की पत्नी । पति के युद्ध में मारे जाने से बहुत दुःखी हो गर्भावस्था में इसे विद्या-बल से शून्य होकर वन में भटकना पड़ा था । मणिकांत पर्वत पर एक शिला के ऊपर इसने एक पुत्र को जन्म दिया था । शत्रुओं ने पुत्र को गर्भ में ही विराधित किया था, अत: इसने उसे ‘‘विराधित’’ नाम दिया था । पद्मपुराण - 1.67,9.40-44
(2) नक्षत्र । प्रंद्रप्रभ तीर्थंकर का इसी नक्षत्र में जन्म हुआ था । पद्मपुराण - 20.44