गर्दभिल्ल: Difference between revisions
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मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का एक सरदार था, जिसने मौर्यकाल में ही मगधदेश के किसी भागपर अपना अधिकार जमा लिया था। इसका असली नाम गंधर्व था। गर्दभी विद्या जानने के कारण गर्दभिल्ल नाम पड़ गया था। इसी कारण <span class="GRef"> हरिवंशपुराण/60/489 </span>में गर्दभ शब्द का पर्यायवाची रासभ शब्द इस नाम के स्थान पर प्रयोग किया गया है। इनका समय वी.नि.345-445, (ई.पू.182-82) है। (इतिहास/3/4) परंतु | मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का एक सरदार था, जिसने मौर्यकाल में ही मगधदेश के किसी भागपर अपना अधिकार जमा लिया था। इसका असली नाम गंधर्व था। गर्दभी विद्या जानने के कारण गर्दभिल्ल नाम पड़ गया था। इसी कारण <span class="GRef"> हरिवंशपुराण/60/489 </span>में गर्दभ शब्द का पर्यायवाची रासभ शब्द इस नाम के स्थान पर प्रयोग किया गया है। इनका समय वी.नि.345-445, (ई.पू.182-82) है। (इतिहास/3/4) परंतु <span class="GRef">( कषायपाहुड़/1/65/ </span>पं.महेंद्र कुमार) के अनुसार वि.पू. या 13 ई.पू. 13 अनुमान किया जाता है। | ||
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Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का एक सरदार था, जिसने मौर्यकाल में ही मगधदेश के किसी भागपर अपना अधिकार जमा लिया था। इसका असली नाम गंधर्व था। गर्दभी विद्या जानने के कारण गर्दभिल्ल नाम पड़ गया था। इसी कारण हरिवंशपुराण/60/489 में गर्दभ शब्द का पर्यायवाची रासभ शब्द इस नाम के स्थान पर प्रयोग किया गया है। इनका समय वी.नि.345-445, (ई.पू.182-82) है। (इतिहास/3/4) परंतु ( कषायपाहुड़/1/65/ पं.महेंद्र कुमार) के अनुसार वि.पू. या 13 ई.पू. 13 अनुमान किया जाता है।