प्रजापति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में 58 वें गणधर । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>में ये 57 वें गणधर हैं । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>43.63, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.65 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में 58 वें गणधर । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>में ये 57 वें गणधर हैं । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>43.63, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.65 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वृषभदेव का दूसरा नाम । अपूर्व रूप से प्रजा की रक्षा करने के कारण उन्हें इस नाम से संबोधित किया गया था । सौधर्मेंद्र ने वृषभदेव की इस नाम से भी स्तुति की थी । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>25.113, 73.7, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.209 </span></p> | <p id="2">(2) वृषभदेव का दूसरा नाम । अपूर्व रूप से प्रजा की रक्षा करने के कारण उन्हें इस नाम से संबोधित किया गया था । सौधर्मेंद्र ने वृषभदेव की इस नाम से भी स्तुति की थी । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>25.113, 73.7, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.209 </span></p> | ||
<p id="3">(3) पोद<span class="GRef"> महापुराण </span>र नगर का राजा । इसकी दो रानियां थी― मृगावती और जयावती । प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ मृगावती का तथा विजय नामक बलभद्र जयावती का पुत्र था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>57. 84-86, 70.120-122, <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.221-226 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.61-63 </span></p> | <p id="3">(3) पोद<span class="GRef"> महापुराण </span>र नगर का राजा । इसकी दो रानियां थी― मृगावती और जयावती । प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ मृगावती का तथा विजय नामक बलभद्र जयावती का पुत्र था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>57. 84-86, 70.120-122, <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#221|पद्मपुराण - 20.221-226]] </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.61-63 </span></p> | ||
<p id="4">(4) मलय देश के रत्नपुर नगर का राजा । यह गुणकांता का पति और चंद्रचूल का पिता था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>67.90-91</p> | <p id="4">(4) मलय देश के रत्नपुर नगर का राजा । यह गुणकांता का पति और चंद्रचूल का पिता था । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>67.90-91</p> | ||
<p id="5">(5) अवंति देश की उज्जयिनी नगरी का राजा । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>75.95 </p> | <p id="5">(5) अवंति देश की उज्जयिनी नगरी का राजा । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span>75.95 </p> |
Revision as of 22:21, 17 November 2023
(1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में 58 वें गणधर । महापुराण में ये 57 वें गणधर हैं । महापुराण 43.63, हरिवंशपुराण 12.65
(2) वृषभदेव का दूसरा नाम । अपूर्व रूप से प्रजा की रक्षा करने के कारण उन्हें इस नाम से संबोधित किया गया था । सौधर्मेंद्र ने वृषभदेव की इस नाम से भी स्तुति की थी । महापुराण 25.113, 73.7, हरिवंशपुराण 8.209
(3) पोद महापुराण र नगर का राजा । इसकी दो रानियां थी― मृगावती और जयावती । प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ मृगावती का तथा विजय नामक बलभद्र जयावती का पुत्र था । महापुराण 57. 84-86, 70.120-122, पद्मपुराण - 20.221-226 वीरवर्द्धमान चरित्र 3.61-63
(4) मलय देश के रत्नपुर नगर का राजा । यह गुणकांता का पति और चंद्रचूल का पिता था । महापुराण 67.90-91
(5) अवंति देश की उज्जयिनी नगरी का राजा । महापुराण 75.95