महारथ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पूर्वघातकीखंड द्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्स देस की सुसीमा नगरी के राजा दशरथ का पुत्र । राजा दशरथ इसे राज्य देकर संयमी हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 61.2-8 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पूर्वघातकीखंड द्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्स देस की सुसीमा नगरी के राजा दशरथ का पुत्र । राजा दशरथ इसे राज्य देकर संयमी हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 61.2-8 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक वानर कुमार विद्याधर । यह हरिवंशी राजा कुणिम का पुत्र था । यह बहुरूपिणी विद्या के साधक रावण को कुपित करने लंका गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.50-51, 70. 14-16 </span></p> | <p id="2">(2) एक वानर कुमार विद्याधर । यह हरिवंशी राजा कुणिम का पुत्र था । यह बहुरूपिणी विद्या के साधक रावण को कुपित करने लंका गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#50|पद्मपुराण - 21.50-51]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_70#14|पद्मपुराण - 70.14-16]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) कुरुवंशी एक नृप । यह राजा चित्ररथ का उत्तराधिकारी था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.28 </span></p> | <p id="3">(3) कुरुवंशी एक नृप । यह राजा चित्ररथ का उत्तराधिकारी था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.28 </span></p> | ||
<p id="4">(4) राजा वसुदेव और उसकी रानी अवंती का तीसरा पुत्र । सुमुख और दुर्मुख इसके अनुज थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.64 </span></p> | <p id="4">(4) राजा वसुदेव और उसकी रानी अवंती का तीसरा पुत्र । सुमुख और दुर्मुख इसके अनुज थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.64 </span></p> |
Revision as of 22:27, 17 November 2023
(1) पूर्वघातकीखंड द्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्स देस की सुसीमा नगरी के राजा दशरथ का पुत्र । राजा दशरथ इसे राज्य देकर संयमी हो गया था । महापुराण 61.2-8
(2) एक वानर कुमार विद्याधर । यह हरिवंशी राजा कुणिम का पुत्र था । यह बहुरूपिणी विद्या के साधक रावण को कुपित करने लंका गया था । पद्मपुराण - 21.50-51,पद्मपुराण - 70.14-16
(3) कुरुवंशी एक नृप । यह राजा चित्ररथ का उत्तराधिकारी था । हरिवंशपुराण 45.28
(4) राजा वसुदेव और उसकी रानी अवंती का तीसरा पुत्र । सुमुख और दुर्मुख इसके अनुज थे । हरिवंशपुराण 48.64
(5) वृषभदेव के चौसठवें गणधर । हरिवंशपुराण 12. 66
(6) अतिरथ, महारथ, समरथ और अर्घरथ इन चार प्रकारों के राजाओं में दूसरे प्रकार के राजा । कृष्ण और जरासंध के युद्ध में ऐसे राजा भी युद्ध करने आये थे ये शस्त्र और शास्त्रार्थ में निपुण दयालु, महाशक्तिमान् और धैर्यशाली थे । हरिवंशपुराण 50. 77-85