वज्रप्रभ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) कुंडलगिरि पर्वत की पूर्व दिशा का दूसरा कूट । यहाँ पंचशिरस् देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.690 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) कुंडलगिरि पर्वत की पूर्व दिशा का दूसरा कूट । यहाँ पंचशिरस् देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.690 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सौमनस वन का एक भवन । इसकी चौड़ाई पंद्रह योजन, ऊंचाई पच्चीस योजन और परिधि पैतालीस योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 319-320 </span></p> | <p id="2">(2) सौमनस वन का एक भवन । इसकी चौड़ाई पंद्रह योजन, ऊंचाई पच्चीस योजन और परिधि पैतालीस योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 319-320 </span></p> | ||
<p id="3">(3) वानरवंशी राजा वज्रकंठ का पुत्र । वज्रकंठ इसे राज्य सौंपकर मुनि हो गया था और इसने भी अपने पुत्र इंद्रमत के लिए राज्य देकर मुनि-दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.160-161 </span></p> | <p id="3">(3) वानरवंशी राजा वज्रकंठ का पुत्र । वज्रकंठ इसे राज्य सौंपकर मुनि हो गया था और इसने भी अपने पुत्र इंद्रमत के लिए राज्य देकर मुनि-दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#160|पद्मपुराण - 6.160-161]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
कुंडल पर्वत का एक कूट−देखें लोक - 5.12।
पुराणकोष से
(1) कुंडलगिरि पर्वत की पूर्व दिशा का दूसरा कूट । यहाँ पंचशिरस् देव रहता है । हरिवंशपुराण 5.690
(2) सौमनस वन का एक भवन । इसकी चौड़ाई पंद्रह योजन, ऊंचाई पच्चीस योजन और परिधि पैतालीस योजन है । हरिवंशपुराण 5. 319-320
(3) वानरवंशी राजा वज्रकंठ का पुत्र । वज्रकंठ इसे राज्य सौंपकर मुनि हो गया था और इसने भी अपने पुत्र इंद्रमत के लिए राज्य देकर मुनि-दीक्षा ले ली थी । पद्मपुराण - 6.160-161