विश्वावसु: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में धवल-देश की स्वस्तिकावती नगरी का राजा । श्रीमती इसकी रानी और वसु इसका पुत्र था । यह पुत्र वसु को राज्य देकर दीक्षित हुआ और तप करने लगा था । <span class="GRef"> महापुराण 67.256-257, 275 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में धवल-देश की स्वस्तिकावती नगरी का राजा । श्रीमती इसकी रानी और वसु इसका पुत्र था । यह पुत्र वसु को राज्य देकर दीक्षित हुआ और तप करने लगा था । <span class="GRef"> महापुराण 67.256-257, 275 </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा वसु का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.59 </span></p> | <p id="2">(2) राजा वसु का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.59 </span></p> | ||
<p id="3">(3) देवों का एक भेद । इस जाति के देव जिनाभिषेक के समय स्तुति करते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 3.179-180 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.158 </span></p> | <p id="3">(3) देवों का एक भेद । इस जाति के देव जिनाभिषेक के समय स्तुति करते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#179|पद्मपुराण - 3.179-180]] </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.158 </span></p> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में धवल-देश की स्वस्तिकावती नगरी का राजा । श्रीमती इसकी रानी और वसु इसका पुत्र था । यह पुत्र वसु को राज्य देकर दीक्षित हुआ और तप करने लगा था । महापुराण 67.256-257, 275
(2) राजा वसु का पुत्र । हरिवंशपुराण 17.59
(3) देवों का एक भेद । इस जाति के देव जिनाभिषेक के समय स्तुति करते हैं । पद्मपुराण - 3.179-180 हरिवंशपुराण 8.158