शुक्र: Difference between revisions
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<ol class="HindiText"> <li> ऊर्ध्वलोक में स्थित नौवां कल्प-स्वर्ग । इसमें बीस हजार बीस विमान है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 105.166-168, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.37, 59 </span></li> | <ol class="HindiText"> <li> ऊर्ध्वलोक में स्थित नौवां कल्प-स्वर्ग । इसमें बीस हजार बीस विमान है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#166|पद्मपुराण - 105.166-168]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.37, 59 </span></li> | ||
<li> महाशुक्र स्वर्ग का इंद्रक विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.50 </span></li> | <li> महाशुक्र स्वर्ग का इंद्रक विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.50 </span></li> | ||
<li> रावण का सामंत । <span class="GRef"> पद्मपुराण 57.45-48, 73.10-12 </span></li> | <li> रावण का सामंत । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_57#45|पद्मपुराण - 57.45-48]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_73#10|पद्मपुराण - 73.10-12]] </span></li> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- औदारिक शरीर में शुक्रधातु का निर्देश -देखें औदारिक - 1.7;
- एक ग्रह -देखें ग्रह ;
- शुक्र ग्रह का लोक में अवस्थान -देखें ज्योतिष_लोक 1 ;
- कल्पवासीयों का एक भेद -देखें स्वर्ग - 3;
- कल्प स्वर्गों का नवमां कल्प -देखें स्वर्ग - 5.2;
- शुक्र स्वर्ग का प्रथम पटल व इंद्रक -देखें स्वर्ग - 5.3;
पुराणकोष से
- ऊर्ध्वलोक में स्थित नौवां कल्प-स्वर्ग । इसमें बीस हजार बीस विमान है । पद्मपुराण - 105.166-168, हरिवंशपुराण 6.37, 59
- महाशुक्र स्वर्ग का इंद्रक विमान । हरिवंशपुराण 6.50
- रावण का सामंत । पद्मपुराण - 57.45-48,पद्मपुराण - 73.10-12