इष्वाकार: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> धातकीखंड और पुष्करार्ध द्वीप की उत्तर दक्षिण दिशा में स्थित चार पर्वत । ये पर्वत इन दोनों द्वीपों को आधे-आधे भागों में विभाजित करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 54.86, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.494,577-579 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> धातकीखंड और पुष्करार्ध द्वीप की उत्तर दक्षिण दिशा में स्थित चार पर्वत । ये पर्वत इन दोनों द्वीपों को आधे-आधे भागों में विभाजित करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 54.86, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#494|हरिवंशपुराण - 5.494]],577-579 </span></p> | ||
<p>ई</p> | <p>ई</p> | ||
</div> | </div> |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
( जंबूदीव-पण्णत्तिसंगहो / प्रस्तावना 105 Arc.);
धातकी खंड व पुष्करार्ध इन दोनों द्वीपों की उत्तर व दक्षिण दिशाओं में एक-एक पर्वत स्थित है। इस प्रकार चार इष्वाकार पर्वत हैं जो उन-उन द्वीपों को आधे-आधे भागों में विभाजित करते हैं।
(विशेष-देखें द्वीप क्षेत्र पर्वत आदि का विस्तार 6.5)
पुराणकोष से
धातकीखंड और पुष्करार्ध द्वीप की उत्तर दक्षिण दिशा में स्थित चार पर्वत । ये पर्वत इन दोनों द्वीपों को आधे-आधे भागों में विभाजित करते हैं । महापुराण 54.86, हरिवंशपुराण - 5.494,577-579
ई