दीपालिका: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> दीपावली-एक महान पर्व । चौथे काल के तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर स्वाति नक्षत्र में कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: तीर्थंकर महावीर का निर्वाण होने से चारों निकायों के देवों द्वारा पावा नगरी में दीप जलाये गये थे । तभी से महावीर के निर्वाणकल्याणक की स्मृति में कार्तिक अमावस्या की रात में भारत में दीप जलाये जाने लगे और दीपावली के नाम से एक उत्सव मनाया जाने लगा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 66.16-21 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दीपावली-एक महान पर्व । चौथे काल के तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर स्वाति नक्षत्र में कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: तीर्थंकर महावीर का निर्वाण होने से चारों निकायों के देवों द्वारा पावा नगरी में दीप जलाये गये थे । तभी से महावीर के निर्वाणकल्याणक की स्मृति में कार्तिक अमावस्या की रात में भारत में दीप जलाये जाने लगे और दीपावली के नाम से एक उत्सव मनाया जाने लगा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_66#16|हरिवंशपुराण - 66.16-21]] </span></p> | ||
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Revision as of 15:10, 27 November 2023
दीपावली-एक महान पर्व । चौथे काल के तीन वर्ष साढ़े आठ मास शेष रहने पर स्वाति नक्षत्र में कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: तीर्थंकर महावीर का निर्वाण होने से चारों निकायों के देवों द्वारा पावा नगरी में दीप जलाये गये थे । तभी से महावीर के निर्वाणकल्याणक की स्मृति में कार्तिक अमावस्या की रात में भारत में दीप जलाये जाने लगे और दीपावली के नाम से एक उत्सव मनाया जाने लगा । हरिवंशपुराण - 66.16-21