नमस्कार-पद: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> नमस्कार (णमोकार) मंत्र । इसकी साधना में मस्तक पर सिद्ध और हृदय में अर्हंत परमेष्ठी को विराजमान कर आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी का ध्यान किया जाता है । इससे मोह और तज्जनित अज्ञ का विनाश हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 5.245-249 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.9 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> नमस्कार (णमोकार) मंत्र । इसकी साधना में मस्तक पर सिद्ध और हृदय में अर्हंत परमेष्ठी को विराजमान कर आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी का ध्यान किया जाता है । इससे मोह और तज्जनित अज्ञ का विनाश हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 5.245-249 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.9 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
नमस्कार (णमोकार) मंत्र । इसकी साधना में मस्तक पर सिद्ध और हृदय में अर्हंत परमेष्ठी को विराजमान कर आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी का ध्यान किया जाता है । इससे मोह और तज्जनित अज्ञ का विनाश हो जाता है । महापुराण 5.245-249 वीरवर्द्धमान चरित्र 18.9