रम्यक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के सात क्षेत्रों में पाँचवाँ क्षेत्र । यह नील और रुक्मि कुलाचल के मध्य में स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 191, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#159|पद्मपुराण - 105.159-160]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.13-15 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) जंबूद्वीप के सात क्षेत्रों में पाँचवाँ क्षेत्र । यह नील और रुक्मि कुलाचल के मध्य में स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 191, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#159|पद्मपुराण - 105.159-160]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#13|हरिवंशपुराण - 5.13-15]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक देश । इसकी रचना तीर्थंकर वृषभदेव की इच्छा होते ही स्वयं इंद्र ने की थी । <span class="GRef"> महापुराण 16.152 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक देश । इसकी रचना तीर्थंकर वृषभदेव की इच्छा होते ही स्वयं इंद्र ने की थी । <span class="GRef"> महापुराण 16.152 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) जंबूद्वीप के सात क्षेत्रों में पाँचवाँ क्षेत्र । यह नील और रुक्मि कुलाचल के मध्य में स्थित है । महापुराण 63. 191, पद्मपुराण - 105.159-160, हरिवंशपुराण - 5.13-15
(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक देश । इसकी रचना तीर्थंकर वृषभदेव की इच्छा होते ही स्वयं इंद्र ने की थी । महापुराण 16.152