वासव: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1">(1) राजा जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.38 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) राजा जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_52#38|हरिवंशपुराण - 52.38]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा वसु का तीसरा पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.58 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) राजा वसु का तीसरा पुत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_17#58|हरिवंशपुराण - 17.58]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश के अरिष्टपुर नगर का राजा । यह सुषेण का जनक था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 400-401 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश के अरिष्टपुर नगर का राजा । यह सुषेण का जनक था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 400-401 </span></p> | ||
<p id="4">(4) जंबूद्वीप का सीता नदी के उत्तरतट पर स्थित कच्छकावती देश में अरिष्टपुर नगर का नृप । इसकी रानी सुमित्रा और उससे उत्पन्न वसुसेन पुत्र था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 75-77 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) जंबूद्वीप का सीता नदी के उत्तरतट पर स्थित कच्छकावती देश में अरिष्टपुर नगर का नृप । इसकी रानी सुमित्रा और उससे उत्पन्न वसुसेन पुत्र था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#75|हरिवंशपुराण - 60.75-77]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) कुरुवंशी एक नृप । यह वासुकि का पुत्र और वसु का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.26 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) कुरुवंशी एक नृप । यह वासुकि का पुत्र और वसु का पिता था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#26|हरिवंशपुराण - 45.26]] </span></p> | ||
<p id="6">(6) विद्याधर नमि का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.108 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) विद्याधर नमि का पुत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#108|हरिवंशपुराण - 22.108]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) जंबूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित मंगलावती देश के विजयार्ध पर्वत का उत्तरश्रेणी में गंधर्वपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी प्रभावती तथा पुत्र महीधर था । जीवन के अंत में यह अरिंजय मुनि के निकट मुक्तावली-तप करके मोक्ष गया । <span class="GRef"> महापुराण 7.28-31 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) जंबूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित मंगलावती देश के विजयार्ध पर्वत का उत्तरश्रेणी में गंधर्वपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी प्रभावती तथा पुत्र महीधर था । जीवन के अंत में यह अरिंजय मुनि के निकट मुक्तावली-तप करके मोक्ष गया । <span class="GRef"> महापुराण 7.28-31 </span></p> | ||
<p id="8">(8) झूठ-बोलने में चतुर एक व्यक्ति । इसने श्रीमती द्वारा चित्रपट पर अंकित राजपुत्री को देखकर उसे स्वयं की स्त्री होना बताया था किंतु पूछे गये प्रश्नों के उत्तर न दे सकने से इसे लज्जित होना पड़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 7.112-115 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) झूठ-बोलने में चतुर एक व्यक्ति । इसने श्रीमती द्वारा चित्रपट पर अंकित राजपुत्री को देखकर उसे स्वयं की स्त्री होना बताया था किंतु पूछे गये प्रश्नों के उत्तर न दे सकने से इसे लज्जित होना पड़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 7.112-115 </span></p> | ||
<p id="9">(9) श्वेतविका नगरी का राजा । वसुंधरा इसकी रानी तथा नंदयशा पुत्री थीं । <span class="GRef"> महापुराण 71.283, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.161 </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) श्वेतविका नगरी का राजा । वसुंधरा इसकी रानी तथा नंदयशा पुत्री थीं । <span class="GRef"> महापुराण 71.283, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#161|हरिवंशपुराण - 33.161]] </span></p> | ||
<p id="10">(10) विदर्भ देश के कुंडलपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और रुक्मिणी पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.341 </span></p> | <p id="10">(10) विदर्भ देश के कुंडलपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और रुक्मिणी पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.341 </span></p> | ||
<p id="11">(11) स्त्री वेषधारी एक नट । कुमार श्रीपाल ने देखते ही इसे पुरुष समझ लिया था । नट और नटी के इस भेद ज्ञान से निमित्तज्ञानियों के कथनानुसार श्रीपाल को चक्रवती के रूप में पहिचाना गया था । <span class="GRef"> महापुराण 47. 9-18 </span></p> | <p id="11">(11) स्त्री वेषधारी एक नट । कुमार श्रीपाल ने देखते ही इसे पुरुष समझ लिया था । नट और नटी के इस भेद ज्ञान से निमित्तज्ञानियों के कथनानुसार श्रीपाल को चक्रवती के रूप में पहिचाना गया था । <span class="GRef"> महापुराण 47. 9-18 </span></p> |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
गंधर्व नामक व्यंतर देवों के दस भेदों में से एक भेद।–देखें गंधर्व ।
पुराणकोष से
(1) राजा जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण - 52.38
(2) राजा वसु का तीसरा पुत्र । हरिवंशपुराण - 17.58
(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश के अरिष्टपुर नगर का राजा । यह सुषेण का जनक था । महापुराण 71. 400-401
(4) जंबूद्वीप का सीता नदी के उत्तरतट पर स्थित कच्छकावती देश में अरिष्टपुर नगर का नृप । इसकी रानी सुमित्रा और उससे उत्पन्न वसुसेन पुत्र था । हरिवंशपुराण - 60.75-77
(5) कुरुवंशी एक नृप । यह वासुकि का पुत्र और वसु का पिता था । हरिवंशपुराण - 45.26
(6) विद्याधर नमि का पुत्र । हरिवंशपुराण - 22.108
(7) जंबूद्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित मंगलावती देश के विजयार्ध पर्वत का उत्तरश्रेणी में गंधर्वपुर का एक विद्याधर राजा । इसकी रानी प्रभावती तथा पुत्र महीधर था । जीवन के अंत में यह अरिंजय मुनि के निकट मुक्तावली-तप करके मोक्ष गया । महापुराण 7.28-31
(8) झूठ-बोलने में चतुर एक व्यक्ति । इसने श्रीमती द्वारा चित्रपट पर अंकित राजपुत्री को देखकर उसे स्वयं की स्त्री होना बताया था किंतु पूछे गये प्रश्नों के उत्तर न दे सकने से इसे लज्जित होना पड़ा था । महापुराण 7.112-115
(9) श्वेतविका नगरी का राजा । वसुंधरा इसकी रानी तथा नंदयशा पुत्री थीं । महापुराण 71.283, हरिवंशपुराण - 33.161
(10) विदर्भ देश के कुंडलपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और रुक्मिणी पुत्री थी । महापुराण 71.341
(11) स्त्री वेषधारी एक नट । कुमार श्रीपाल ने देखते ही इसे पुरुष समझ लिया था । नट और नटी के इस भेद ज्ञान से निमित्तज्ञानियों के कथनानुसार श्रीपाल को चक्रवती के रूप में पहिचाना गया था । महापुराण 47. 9-18