समचतुस्रसंस्थान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> नाम कर्म का एक भेद । इसी से सुंदर शरीररचना होती है । इससे शरीर की लंबाई-चौड़ाई और ऊँचाई हीनाधिक नहीं होती, समविभक्त होती है । चारों और से मनोहर, अंगोपांगों का समान विभाजन इसी से होता है । <span class="GRef"> महापुराण 15.33, 37.28, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.175 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> नाम कर्म का एक भेद । इसी से सुंदर शरीररचना होती है । इससे शरीर की लंबाई-चौड़ाई और ऊँचाई हीनाधिक नहीं होती, समविभक्त होती है । चारों और से मनोहर, अंगोपांगों का समान विभाजन इसी से होता है । <span class="GRef"> महापुराण 15.33, 37.28, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_8#175|हरिवंशपुराण - 8.175]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
नाम कर्म का एक भेद । इसी से सुंदर शरीररचना होती है । इससे शरीर की लंबाई-चौड़ाई और ऊँचाई हीनाधिक नहीं होती, समविभक्त होती है । चारों और से मनोहर, अंगोपांगों का समान विभाजन इसी से होता है । महापुराण 15.33, 37.28, हरिवंशपुराण - 8.175