सिंहवाहिनी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) गिरिनार पर्वत पर रहने वाली अंबिका देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 66.44 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) गिरिनार पर्वत पर रहने वाली अंबिका देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_66#44|हरिवंशपुराण - 66.44]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) चक्रवर्ती भरतेश की शय्या । <span class="GRef"> महापुराण 37.154 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) चक्रवर्ती भरतेश की शय्या । <span class="GRef"> महापुराण 37.154 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक विद्या । रथनूपुर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर ने प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ को यह विद्या दी थी । चित्तवेग देव ने यही विद्या राम को दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.25-30, 90,111-112, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 60, 131-135, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 53-54, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.94-96 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) एक विद्या । रथनूपुर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर ने प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ को यह विद्या दी थी । चित्तवेग देव ने यही विद्या राम को दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 62.25-30, 90,111-112, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 60, 131-135, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 53-54, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.94-96 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
(1) गिरिनार पर्वत पर रहने वाली अंबिका देवी । हरिवंशपुराण - 66.44
(2) चक्रवर्ती भरतेश की शय्या । महापुराण 37.154
(3) एक विद्या । रथनूपुर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर ने प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ को यह विद्या दी थी । चित्तवेग देव ने यही विद्या राम को दी थी । महापुराण 62.25-30, 90,111-112, पद्मपुराण 60, 131-135, पांडवपुराण 4. 53-54, वीरवर्द्धमान चरित्र 3.94-96