स्त्यानगृद्धि: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> दर्शनावरण कर्म की उत्तर प्रकृतियों में एक प्रकृति इसके उदय से, जीव जागकर और असाधारण कार्य करके पुन: सो जाता है । वृषभदेव ने इसका नाश किया था । <span class="GRef"> महापुराण 257 </span>देखें [[ दर्शनावरण ]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दर्शनावरण कर्म की उत्तर प्रकृतियों में एक प्रकृति इसके उदय से, जीव जागकर और असाधारण कार्य करके पुन: सो जाता है । वृषभदेव ने इसका नाश किया था । <span class="GRef"> महापुराण 257 </span>देखें [[ दर्शनावरण ]]</p> | ||
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