संवास अनुमति: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= यदि साधु आहारादि के निमित्त ऐसा ममत्व भाव करे कि ये गृहस्थ लोक हमारे हैं, वह उसके लिए '''संवास नाम की अनुमति''' है। </p> | |||
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Latest revision as of 20:58, 17 February 2024
मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 415
सावज्ज संकिलिट्ठो ममत्तिभावो दु संवासो ॥415॥
= यदि साधु आहारादि के निमित्त ऐसा ममत्व भाव करे कि ये गृहस्थ लोक हमारे हैं, वह उसके लिए संवास नाम की अनुमति है।
अधिक जानकारी के लिये देखें अनुमति ।