स्नेहातिचार: Difference between revisions
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देखें [[ अतिचार#3 | अतिचार - 3]]। | <span class="GRef">भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 612/812/6</span><p class="SanskritText"> उपयुक्तोऽपि सम्यगतिचारं न वेत्ति सोऽनाभोगकृत व्याक्षिप्तचेतसा वा कृतः। .....। शरीरे, उपकरणे, वसतौ, कुले, ग्रामे, नगरे, देशे, बंधुषु, पार्श्वस्तेषु वा ममेदभावः '''स्नेहस्तेन''' प्रवर्तित आचारः। .....। एवं मया स्वशुद्धिरनुष्ठितेति निवेदनम् </p> | ||
<p class="HindiText">1......। 22. स्नेहातिचार - शरीर, उपकरण, वसति, कुल, गाँव, नगर, श, बंधु और पार्श्वस्थ मुनि इनमें `ये मेरे हैं' ऐसा भाव उत्पन्न होना इसको स्नेह कहते हैं। इससे उत्पन्न हुए दोषों को '''स्नेहातिचार''' कहते हैं। 23. ..... ऐसा कथन जानना।</p> | |||
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Latest revision as of 16:06, 28 February 2024
भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 612/812/6
उपयुक्तोऽपि सम्यगतिचारं न वेत्ति सोऽनाभोगकृत व्याक्षिप्तचेतसा वा कृतः। .....। शरीरे, उपकरणे, वसतौ, कुले, ग्रामे, नगरे, देशे, बंधुषु, पार्श्वस्तेषु वा ममेदभावः स्नेहस्तेन प्रवर्तित आचारः। .....। एवं मया स्वशुद्धिरनुष्ठितेति निवेदनम्
1......। 22. स्नेहातिचार - शरीर, उपकरण, वसति, कुल, गाँव, नगर, श, बंधु और पार्श्वस्थ मुनि इनमें `ये मेरे हैं' ऐसा भाव उत्पन्न होना इसको स्नेह कहते हैं। इससे उत्पन्न हुए दोषों को स्नेहातिचार कहते हैं। 23. ..... ऐसा कथन जानना।
अधिक जानकारी के लिये देखें अतिचार - 3।