गृहत्यागक्रिया: Difference between revisions
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<p> गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में बाईसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सत्रहवीं क्रिया । इस क्रिया में सिद्ध भगवान् का पूजा के पश्चात् इष्ट जनों के समक्ष पुत्र को सब कुछ समर्पित करके गृहत्याग किया जाता है । महापुराण 38.57, 150.156, 39.76</p> | <p> गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में बाईसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सत्रहवीं क्रिया । इस क्रिया में सिद्ध भगवान् का पूजा के पश्चात् इष्ट जनों के समक्ष पुत्र को सब कुछ समर्पित करके गृहत्याग किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 38.57, 150.156, 39.76 </span></p> | ||
Revision as of 21:40, 5 July 2020
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में बाईसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में सत्रहवीं क्रिया । इस क्रिया में सिद्ध भगवान् का पूजा के पश्चात् इष्ट जनों के समक्ष पुत्र को सब कुछ समर्पित करके गृहत्याग किया जाता है । महापुराण 38.57, 150.156, 39.76