देवगुरु: Difference between revisions
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<p> एक चारण ऋद्धिधारी मुनि । इनसे अमिततेज और श्रीविजय ने धर्मोपदेश सुना था । इन्होंने ही एक वानर को अन्तिम समय में एक नमस्कार मंत्र सुनाया था जिसे सुनकर वानर मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नाम का देव हुआ था । महापुराण 62. 403, 70.135-138</p> | <p> एक चारण ऋद्धिधारी मुनि । इनसे अमिततेज और श्रीविजय ने धर्मोपदेश सुना था । इन्होंने ही एक वानर को अन्तिम समय में एक नमस्कार मंत्र सुनाया था जिसे सुनकर वानर मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नाम का देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 403, 70.135-138 </span></p> | ||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
एक चारण ऋद्धिधारी मुनि । इनसे अमिततेज और श्रीविजय ने धर्मोपदेश सुना था । इन्होंने ही एक वानर को अन्तिम समय में एक नमस्कार मंत्र सुनाया था जिसे सुनकर वानर मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नाम का देव हुआ था । महापुराण 62. 403, 70.135-138