देवगुरु
From जैनकोष
एक चारण ऋद्धिधारी मुनि । इनसे अमिततेज और श्रीविजय ने धर्मोपदेश सुना था । इन्होंने ही एक वानर को अंतिम समय में एक नमस्कार मंत्र सुनाया था जिसे सुनकर वानर मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नाम का देव हुआ था । महापुराण 62. 403, 70.135-138