मेय: Difference between revisions
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<p>ध. 12/4, 2, 8, 10/285/10 <span class="SanskritText">मेयो यव-गो-धूमादिः ।</span> = <span class="HindiText">मापने के योग्य जौ गेहूँ आदि मेय कहे जाते हैं । </span></p> | |||
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<p> मेय, देश, तुला और काल क भेद से चतुर्विध मानों में प्रथम मान । प्रस्थ आदि के द्वारा मापने योग्य वस्तु मेय कहलाती है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 24.60 </span></p> | |||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
ध. 12/4, 2, 8, 10/285/10 मेयो यव-गो-धूमादिः । = मापने के योग्य जौ गेहूँ आदि मेय कहे जाते हैं ।
पुराणकोष से
मेय, देश, तुला और काल क भेद से चतुर्विध मानों में प्रथम मान । प्रस्थ आदि के द्वारा मापने योग्य वस्तु मेय कहलाती है । पद्मपुराण 24.60