मेय
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
धवला 12/4, 2, 8, 10/285/10 मेयो यव-गो-धूमादिः । = मापने के योग्य जौ गेहूँ आदि मेय कहे जाते हैं ।
पुराणकोष से
मेय, देश, तुला और काल क भेद से चतुर्विध मानों में प्रथम मान । प्रस्थ आदि के द्वारा मापने योग्य वस्तु मेय कहलाती है । पद्मपुराण - 24.60