लोकपूरण: Difference between revisions
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
केवलि-समुद्घात का चौथा चरण । केवलियों के आयुकर्म की स्थिति जब अन्तर्मुहूर्त रह जाती है तथा तीन अघातिया कर्मों की स्थिति अधिक होती है तब वे दण्ड, कपाट, प्रतर और इसके द्वारा उन तीन अघाति कर्मों की स्थिति बराबर करते हैं । हरिवंशपुराण 56. 72-75