समचतुस्रसंस्थान: Difference between revisions
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Revision as of 21:48, 5 July 2020
नाम कर्म का एक भेद । इसी से सुन्दर शरीररचना होती है । इससे शरीर की लम्बाई-चौड़ाई और ऊँचाई हीनाधिक नहीं होती, समविभक्त होती है । चारों और से मनोहर, अंगोपांगों का समान विभाजन इसी से होता है । महापुराण 15.33, 37.28, हरिवंशपुराण 8.175