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<p id="1">(1) नन्दनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.311-317</p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p id="2">(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचन्द्र का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.52</p> | भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेन्द्र का स्वामी देव-देखें [[ लोक#3.6 | लोक - 3.6]],4। | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । महापुराण 62.202-203, पांडवपुराण 4.117-118</p> | |||
<p id="4">(4) कैलास पर्वत के पास | <noinclude> | ||
<p id="5">(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निन्दा करने से उदुम्बर रोग हो गया था । महापुराण 71.317-320</p> | [[ सोपारक | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
<p id="6">(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थङ्कर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती | |||
<p id="7">(7) एक राजा । इसका पुत्र सिंहल कृष्ण का पक्षधर थ । हरिवंशपुराण 52.17</p> | [[ सोमक | अगला पृष्ठ ]] | ||
<p id="8">(8) विद्याधरों के चक्रवर्ती इन्द्र का भक्त । माल्यवान् ने इसे भिण्डिमाल शस्त्र से मूर्च्छित कर दिया था । पद्मपुराण 7.91, 95-96 </p> | |||
<p id="9">(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी | </noinclude> | ||
<p id="10">(10) हस्तिनापुर का राजा । चौथे नारायण पुरुषोत्तम का यह पिता था । इसकी रानी सीता थी । पद्मपुराण 20.221-226</p> | [[Category: स]] | ||
<p id="11">(11) गन्धवती नगरी का पुरोहित । इसके सुकेतु और अग्निकेतु नाम के दो पुत्र थे । पद्मपुराण 41.115-116</p> | |||
<p id="12">(12) नमि विद्याधर का एक पुत्र । हरिवंशपुराण 22.107</p> | |||
<p id="13">(13) सौधर्मेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयन्ती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.660-661</p> | == पुराणकोष से == | ||
<p id="14">(14) ऐशानेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनन्दा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.664-665</p> | <p id="1">(1) नन्दनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.311-317 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचन्द्र का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.52 </span></p> | |||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 62.202-203, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.117-118 </span></p> | |||
<p id="4">(4) कैलास पर्वत के पास पर्णकान्ता नदी के तट पर रहनेवाला एक तापस । इसकी स्त्री श्रीदत्ता तथा पुत्र चन्द्र था । <span class="GRef"> महापुराण 63. 266-267 </span></p> | |||
<p id="5">(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निन्दा करने से उदुम्बर रोग हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.317-320 </span></p> | |||
<p id="6">(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थङ्कर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती स्त्री थी । जयकुमार इसी के पुत्र थे । इसके विजय आदि चौदह अन्य पुत्र भी थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.165, 207-208, 214, 3.2-3 </span>देखें [[ सोमप्रभ ]]</p> | |||
<p id="7">(7) एक राजा । इसका पुत्र सिंहल कृष्ण का पक्षधर थ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.17 </span></p> | |||
<p id="8">(8) विद्याधरों के चक्रवर्ती इन्द्र का भक्त । माल्यवान् ने इसे भिण्डिमाल शस्त्र से मूर्च्छित कर दिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.91, 95-96 </span></p> | |||
<p id="9">(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी स्त्री अदिति का पुत्र । इन्द्र ने इसे द्यौतिसंग नगर की पूर्व दिशा में लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.108-109 </span></p> | |||
<p id="10">(10) हस्तिनापुर का राजा । चौथे नारायण पुरुषोत्तम का यह पिता था । इसकी रानी सीता थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.221-226 </span></p> | |||
<p id="11">(11) गन्धवती नगरी का पुरोहित । इसके सुकेतु और अग्निकेतु नाम के दो पुत्र थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41.115-116 </span></p> | |||
<p id="12">(12) नमि विद्याधर का एक पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.107 </span></p> | |||
<p id="13">(13) सौधर्मेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयन्ती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.660-661 </span></p> | |||
<p id="14">(14) ऐशानेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनन्दा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.664-665 </span></p> | |||
Revision as of 21:49, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से == भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेन्द्र का स्वामी देव-देखें लोक - 3.6,4।
पुराणकोष से
(1) नन्दनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.311-317
(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचन्द्र का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.52
(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । महापुराण 62.202-203, पांडवपुराण 4.117-118
(4) कैलास पर्वत के पास पर्णकान्ता नदी के तट पर रहनेवाला एक तापस । इसकी स्त्री श्रीदत्ता तथा पुत्र चन्द्र था । महापुराण 63. 266-267
(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निन्दा करने से उदुम्बर रोग हो गया था । महापुराण 71.317-320
(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थङ्कर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती स्त्री थी । जयकुमार इसी के पुत्र थे । इसके विजय आदि चौदह अन्य पुत्र भी थे । पांडवपुराण 2.165, 207-208, 214, 3.2-3 देखें सोमप्रभ
(7) एक राजा । इसका पुत्र सिंहल कृष्ण का पक्षधर थ । हरिवंशपुराण 52.17
(8) विद्याधरों के चक्रवर्ती इन्द्र का भक्त । माल्यवान् ने इसे भिण्डिमाल शस्त्र से मूर्च्छित कर दिया था । पद्मपुराण 7.91, 95-96
(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी स्त्री अदिति का पुत्र । इन्द्र ने इसे द्यौतिसंग नगर की पूर्व दिशा में लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था । पद्मपुराण 7.108-109
(10) हस्तिनापुर का राजा । चौथे नारायण पुरुषोत्तम का यह पिता था । इसकी रानी सीता थी । पद्मपुराण 20.221-226
(11) गन्धवती नगरी का पुरोहित । इसके सुकेतु और अग्निकेतु नाम के दो पुत्र थे । पद्मपुराण 41.115-116
(12) नमि विद्याधर का एक पुत्र । हरिवंशपुराण 22.107
(13) सौधर्मेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयन्ती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.660-661
(14) ऐशानेन्द्र का लोकपाल एक देव । नन्दीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनन्दा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.664-665