आम्नाय: Difference between revisions
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[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ९/२५/४/६२४/१६ व्रतिनो वेदितसमाचारस्यैहलोकिकफलनिरपेक्षस्य द्रुतविलम्बितादिघोषविशुद्धं परिवर्तनमाम्नाय इत्युपदिश्यते। | |||
= आचारपारगामी व्रतीका लौकिक फलकी अपेक्षा किये बिना द्रुतविलम्बितादि पाठ दोषोंसे रहित होकर पाठका फेरना, घोखना आम्नाय है। | |||
([[चारित्रसार]] पृष्ठ संख्या १५३/३) |
Revision as of 08:22, 8 May 2009
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ९/२५/४४३/५/ घोषशुद्धंपरिवर्तनमाम्नायः। = उच्चारणकी शुद्धि पूर्वक पाठको पुनः पुनः दोहराना आम्नाय है। (तत्त्वार्थसार अधिकार संख्या ७/१९), (अनगार धर्मामृत अधिकार संख्या ७/८७/७१६) राजवार्तिक अध्याय संख्या ९/२५/४/६२४/१६ व्रतिनो वेदितसमाचारस्यैहलोकिकफलनिरपेक्षस्य द्रुतविलम्बितादिघोषविशुद्धं परिवर्तनमाम्नाय इत्युपदिश्यते। = आचारपारगामी व्रतीका लौकिक फलकी अपेक्षा किये बिना द्रुतविलम्बितादि पाठ दोषोंसे रहित होकर पाठका फेरना, घोखना आम्नाय है। (चारित्रसार पृष्ठ संख्या १५३/३)