उत्कृष्ट शातकुंभ: Difference between revisions
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Revision as of 16:20, 19 August 2020
एक व्रत । इसमें एक से लेकर सोलह तक के अंको को सोलह, पंद्रह आदि के क्रम से एक तक लिखकर प्रथम अंक को छोड़ अवशिष्ट अंकों का जितना जोड़ हो उतने उपवास और जितने स्थान हों उतनी पारणाएँ की जाती है । यह पाँच सौ सत्तावन दिनों में पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण 34.87-85